हर कार्य को सफल बनाने वाले “विक्रांत भैरव” एक शिव के भैरव का ही रूप है जो उसकी वीरता, पराक्रम और शक्ति का प्रतीक है। भैरव देवता हिंदू धर्म में भगवान शिव की एक उग्र रूप हैं और उन्हें सुरक्षा और कार्य मे आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए पूजा जाता है। “विक्रांत” शब्द वीरता, पराक्रम, या शक्ति को सूचित करता है। इस रूप के भैरव की पूजा से मान्यता है कि चुनौतियों को पार करने में मदद मिलती है और सफलता प्राप्त करने में सहायक होती है।
विक्रांत भैरव साधना के लाभ:
- जीवन में सफलता: साधना करने से साधक को जीवन में सफलता मिलती है और उसके कार्यों में सिद्धि होती है।
- सिद्धियाँ: विक्रांत भैरव साधना करने से साधक को विभिन्न सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं जो उसके जीवन को समृद्धि और उज्ज्वलता से भर देती हैं।
- अध्यात्मिक उन्नति: साधना से साधक की अध्यात्मिक उन्नति होती है और उसका मानवीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण मजबूत होता है।
- भैरव की कृपा: विक्रांत भैरव साधना करने से भैरव की कृपा प्राप्त होती है और साधक को उसका आशीर्वाद मिलता है।
- आत्मविश्वास: साधक का आत्मविश्वास और सामर्थ्य बढ़ता है जो उसे जीवन में कठिनाइयों का सामना करने में मदद करता है।
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