स्वर्णावती साधनाः
भौतिक सुख प्रदान करने वाली स्वर्णावती साधना का मुख्य उद्देश्य साधक को धन, सम्पत्ति, और सुख-शांति की प्राप्ति में मदद करना होता है। स्वर्णावती साधना के दौरान साधक को नारियल पर कुछ मंत्रों का जाप करना होता है और उसके बाद उसे नारियल का उपयोग करके कुछ विशेष क्रियाएं करनी होती हैं। इस साधना के द्वारा साधक को समृद्धि, सफलता, और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। इसके अलावा, यह साधना व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति में सहायक होती है। यह साधना विधिपूर्वक और श्रद्धा से की जानी चाहिए ताकि साधक को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके।
स्वर्णावती साधना विधिः
किसी भी शुक्रवार से सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिक्षा की तरफ मुंह करके सामने चौकी पर लाल या पीला कपडा बिछाकर उस पर सिद्ध स्वर्णावती यंत्र, तांत्रोक्त नारियल, स्वर्णावती गुटिका व काले चिरमी दाने को अपने सामने रखकर स्वर्णावती माला से २१ माला जप २१ दिन तक लगातार करे। २२वे दिन को दशांश हवन करे।
स्वर्णावती साधना के लाभ:
- धन संपत्ति की प्राप्ति: इस साधना से साधक को धन और संपत्ति की प्राप्ति में सहायता मिलती है।
- आर्थिक स्थिति में सुधार: स्वर्णावती साधना से साधक की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और उसका जीवन धन संपन्न होता है।
- व्यापार में सफलता: यह साधना व्यापार में सफलता प्राप्त करने में सहायक होती है और व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि दिलाती है।
- आनंद और सुख: स्वर्णावती साधना से साधक को जीवन में आनंद और सुख की प्राप्ति होती है और वह सुखी जीवन जीता है।
- सामर्थ्य: इस साधना से साधक को सामर्थ्य मिलता है और उसे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होती है।
- कार्यों में सफलता: यह साधना साधक के कार्यों में सफलता प्राप्त करने में सहायक होती है और उसे अच्छे नतीजे प्राप्त होते हैं।
- प्रार्थना सिद्धि: स्वर्णावती साधना से साधक की प्रार्थनाएं सिद्ध होती हैं और उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- संतान सुख: इस साधना से साधक को संतान सुख मिलता है और उसका परिवार सुखी और समृद्ध होता है।
- समृद्धि: स्वर्णावती साधना से साधक को समृद्धि मिलती है और उसका जीवन समृद्ध होता है।
- कष्टों का निवारण: इस साधना से साधक के जीवन से सभी प्रकार की कष्ट और दुर्भावनाएं दूर होती हैं और उसे सुखी जीवन मिलता है।
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