श्राद्ध-पितृ साधना एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली साधना है जो पितृ देवों की पूजा और उनकी आत्माओं की शांति के लिए की जाती है। यह साधना भगवान विष्णु और भगवान शिव के आशीर्वाद से की जाती है और इसका मुख्य उद्देश्य पितृदोषों को दूर करना है। साधना के दौरान साधक को पितृ देवों की पूजा करनी होती है, जिससे उन्हें शांति मिलती है और उनकी आत्माओं को उनके कर्मों के अनुसार यातना से मुक्ति मिलती है। साधक को इस साधना के लिए प्रतिदिन श्राद्ध करना पड़ता है और उन्हें स्वयं की आत्मा के लिए शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रयास करना होता है। इस साधना से साधक को अपने पूर्वजों के पापों का प्रायश्चित्त मिलता है और उनके आत्माओं को शांति प्राप्त होती है, इससे नज़र बाधा, ब्लैकमैजिक, शत्रु बाधा से सुरक्षा मिलती है।
श्राद्ध-पितृ साधना के लाभ:
- पितृदोष निवारण: साधना से पितृदोषों का निवारण होता है, जिससे व्यक्ति को अनेक संकटों से मुक्ति मिलती है।
- पितृश्राद्ध की सही प्राप्ति: साधना से पितृश्राद्ध का सही फल प्राप्त होता है, जो उनकी आत्मा को शांति देता है।
- आत्मिक शुद्धि: साधना से व्यक्ति की आत्मिक शुद्धि होती है और उसे अध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।
- कष्टों से मुक्ति: श्राद्ध-पितृ साधना करने से व्यक्ति को जीवन की सभी कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
- संतान की प्राप्ति: साधना से व्यक्ति को संतान प्राप्ति में सहायता मिलती है।
- आर्थिक समृद्धि: श्राद्ध-पितृ साधना से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- संतानों का कल्याण: साधना से पितृदेवों को संतानों का कल्याण होता है।
- आत्म-समर्पण: साधना से व्यक्ति को आत्म-समर्पण की भावना प्राप्त होती है।
- शांति और सुख: साधना से व्यक्ति को शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
- कर्म की सफलता: श्राद्ध-पितृ साधना करने से व्यक्ति के कर्मों में सफलता मिलती है।
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