शीतला अष्टमी पूजा
शीतला अष्टमी व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और श्रद्धेय व्रत माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से शीतला माता को समर्पित होता है, जिन्हें रोगों को दूर करने वाली देवी माना जाता है। शीतला अष्टमी व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य परिवार को बीमारियों से बचाना और स्वास्थ्य की प्राप्ति करना है। शीतला अष्टमी के दिन व्रतधारी सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। पूजा स्थल को साफ करके वहां माता शीतला की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है। इस दिन ताजे भोजन का सेवन वर्जित होता है और व्रतधारी एक दिन पहले बनाए गए ठंडे भोजन का ही सेवन करते हैं। पूजा में दीप, धूप, पुष्प, और ठंडे पकवान का उपयोग किया जाता है। माता शीतला को कच्चे दूध, चावल, गुड़, और ठंडे खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है। माता शीतला की आरती की जाती है और उनके मंत्रों का जाप किया जाता है। इस व्रत का पालन करने से परिवार में स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शीतला अष्टमी व्रत के लाभ
- माता शीतला का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- बीमारियों और रोगों से रक्षा होती है।
- परिवार में स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
- मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
- नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- परिवार में खुशियों का माहौल बना रहता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- धन-धान्य और वैभव की वृद्धि होती है।
- वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
- बच्चों की उन्नति और सफलता में सहायक होता है।
- समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- कठिन परिस्थितियों में साहस और धैर्य प्राप्त होता है।
- व्यापार और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- शत्रुओं से रक्षा होती है।
- सभी प्रकार की बाधाओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
यह पूजा योग्य पंडित द्वारा ही हम करवाते हैं, और हम इस पूजा को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवाते हैं।