इस असितंग भैरव यंत्र को ११०१ बार असितांग भैरव मंत्र सिद्ध (energized) किया गया है। असितांग भैरव यंत्र का प्रयोग भैरव भगवान की कृपा व सुरक्षा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। असितांग भैरव, अष्ट भैरवों में से एक हैं, जो विशेष रूप से सुरक्षा, शक्ति, और शत्रुओं के नाश के लिए पूजा जाते हैं। असितांग भैरव यंत्र में भैरव जी की ऊर्जा समाहित होती है जो साधक को अनेक लाभ प्रदान करती है जैसे कि:
असितांग भैरव यंत्र :
असितांग भैरव यंत्र को विशेष तांत्रिक विधियों द्वारा तैयार किया जाता है और इसमें भगवान भैरव के विशेष बीज मंत्र अंकित होते हैं। इस यंत्र का सही विधि से पूजन और स्थापना करने पर यह यंत्र अत्यंत प्रभावकारी हो जाता है। अशितांग भैरव मंत्र “ॐ भ्रं असितांग भैरवाय नमः” “OM BHRAM ASITAANG BHAIRAVAAY NAMAHA”
असितांग भैरव यंत्र के लाभ:
- सुरक्षा: असितांग भैरव यंत्र साधक को हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर और शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
- शत्रु नाश: यह यंत्र शत्रुओं को परास्त करने और उनकी बुरी योजनाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
- धन प्राप्ति: इस यंत्र की उपासना से साधक को आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
- वास्तु दोष निवारण: असितांग भैरव यंत्र को घर या कार्यस्थल पर स्थापित करने से वास्तु दोष समाप्त होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
- मानसिक शांति: इस यंत्र की साधना से मानसिक शांति प्राप्त होती है और तनाव से मुक्ति मिलती है।
- कार्य में सफलता: यह यंत्र साधक को हर कार्य में सफलता और उन्नति दिलाता है।
- स्वास्थ्य लाभ: असितांग भैरव यंत्र स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
- विघ्न बाधाओं से मुक्ति: साधक के जीवन में आने वाली विघ्न बाधाओं को दूर करता है और मार्ग प्रशस्त करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: इस यंत्र की साधना से साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है और वह ईश्वर के निकट पहुंचता है।
- परिवार में शांति: यह यंत्र परिवार में शांति और समृद्धि बनाए रखता है।
- सिद्धियों की प्राप्ति: असितांग भैरव यंत्र साधक को विभिन्न प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति कराता है।
- संरक्षण: यह यंत्र साधक को हर प्रकार की दैवीय आपदाओं और असामान्य घटनाओं से संरक्षण प्रदान करता है।
यंत्र स्थापना व पूजन विधि:
असितांग भैरव यंत्र की स्थापना अष्टमी, ग्रहंण, अमावस्या या शनिवार के दिन की जानी चाहिए। इसकी स्थापना से पूर्व विधिवत पूजा, हवन और मंत्रोच्चारण करना चाहिए। यंत्र को शुद्ध स्थान पर स्थापित कर, नियमित रूप से उसकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। योग्य गुरु के मार्गदर्शन में इसकी साधना करना सर्वोत्तम होता है।
असितांग भैरव यंत्र साधक के जीवन में सुरक्षा, शक्ति, और सफलता लाता है और उसे हर प्रकार की नकारात्मकता से बचाता है।
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