अरन्य द्वादशी व्रत पूजा
अरन्य द्वादशी व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस व्रत को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्त जंगल में जाकर या किसी मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि, धन-धान्य, और पारिवारिक खुशियों की प्राप्ति होती है। अरन्य द्वादशी के दिन व्रतधारी निर्जला व्रत रखते हैं और शाम के समय पूजा-अर्चना करते हैं। पूजा में पंचामृत, फल, फूल, और तुलसी दल का उपयोग किया जाता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
अरन्य द्वादशी व्रत के लाभ
- जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- धन-धान्य और वैभव की वृद्धि होती है।
- परिवार में खुशियों का आगमन होता है।
- रोगों से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
- माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
- वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
- बच्चों की उन्नति और सफलता में सहायक होता है।
- व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं।
- जीवन में शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
- शत्रुओं से रक्षा होती है।
- व्यापार और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- परिवार में एकता और प्रेम बना रहता है।
- कठिन परिस्थितियों में साहस और धैर्य प्राप्त होता है।
- अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
यह पूजा योग्य पंडित द्वारा ही हम करवाते हैं, और हम इस पूजा को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करवाते हैं।
Muhurth: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी