ये सिद्ध अघोरेश्वर कवच (Aghoreshvar Kavach) बहुत ही शक्तिशाली कवच माना जाता है। इस कवच की खास बात ये है कि इसकी प्राण प्रतिष्ठा ४ दिन ४ पद्धति से होती है। पहले दिन हिंदू पद्धति से सुरक्षा, दूसरे दिन मुस्लिम प्रयोग से सुरक्षा, तीसरे लामा प्रयोग से सुरक्षा व चौथे दिन वुडू (voodoo method) प्रयोग से सुरक्षा के लिये प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इस पद्धति से ये सबसे अधिक शक्तिशाली बन जाता है। इस कवच का प्रयोग साधक को सुरक्षा, सफलता, और उच्च स्तर की आत्मविकास की प्राप्ति में मदद करता है। अघोरेश्वर कवच का प्रयोग सभी प्रकार के नकारात्मक शक्तियों, भूत-प्रेत, और अन्य अशुभताओं से रक्षा के लिए किया जाता है।
“नमस्ते रुद्र रूपिणि अघोर मूर्ते नमः।” ( Namaste Rudr Roopini Aghor Moorate Namah)
अघोरेश्वर कवच के लाभ:
- किसी भी विधि से किया गया तांत्रिक प्रयोग को ये रोकता है।
- सुरक्षा: अघोर कवच का प्रयोग व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों, भूत-प्रेत और अन्य अशुभताओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
- सफलता: इस कवच का प्रयोग सफलता और उच्च स्तर की आत्मविकास की प्राप्ति में सहायक होता है।
- आत्मविश्वास: अघोर कवच का उपयोग करके व्यक्ति अपने आत्मविश्वास को बढ़ा सकता है और अपनी साधना में निरंतरता और धैर्य बनाए रखता है।
- कल्याण: इस कवच का प्रयोग करने से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक कल्याण मिलता है।
- आत्मा के शांति: अघोर कवच का प्रयोग करने से व्यक्ति को आत्मा की शांति और स्थिरता मिलती है।
- अन्य लाभ: इस कवच का प्रयोग करने से शत्रुओं से सुरक्षा, व्यापार में वृद्धि, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए भी लाभ मिलता है।
अघोरेश्वर रक्षा कवच का मुहूर्त और शुभ दिन:
- महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है और इस दिन अघोर कवच का प्रयोग भी किया जा सकता है।
- रविवार (Sunday): अघोरेश्वर कवच को धारण करने के लिए रविवार को भी शुभ माना गया है।
- कृष्ण पक्ष की द्वादशी (Dwadashi of the Krishna Paksha): इस तिथि को भी अघोर कवच का प्रयोग करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
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